हूती आतंकी दुनिया के लिए सबसे बड़ा खतरा! कैसे होगा इनका अंत, असमंजस में महाशक्तियां

Houthi Terrorists: मिडिल ईस्ट इस समय दुनिया का सबसे विस्फोटक इलाका है. जहां गाज़ा पट्टी में इजरायल-हमास जंग लड़ रहे हैं. तो दूसरी यमन और सीरिया जैसे देश गृह युद्ध की आग में जल रहे हैं. मिडल ईस्ट ऐसा इलाका है जहां मुस्लिम देश शिया-सुन्नी में बंटे ह

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Houthi Terrorists: मिडिल ईस्ट इस समय दुनिया का सबसे विस्फोटक इलाका है. जहां गाज़ा पट्टी में इजरायल-हमास जंग लड़ रहे हैं. तो दूसरी यमन और सीरिया जैसे देश गृह युद्ध की आग में जल रहे हैं. मिडल ईस्ट ऐसा इलाका है जहां मुस्लिम देश शिया-सुन्नी में बंटे हुए हैं. हर तरफ बंटवारे का बारूद बिछा हुआ है. डर चिंगारी का है, पर आग लगाकर धमाके की तैयारी हो चुकी है. हूती विद्रोहियों का बारूदी प्लान ये है जिनके पीछे दुनिया की कई महाशक्तियों की नौसेना और लड़ाकू विमान लगे हुए हैं. घातक मिसाइलों और ड्रोन से लैस हूती समंदर किनारे बैठकर पूरी दुनिया के व्यापार को ठप कर रहे हैं. और इनके हमले का असर यूरोप से एशिया तक के बहुत सारे देश भुगत रहे हैं.

असल में दुनिया के सबसे बिज़ी रहने वाला समुद्री व्यापारिक मार्ग. जिससे सारी दुनिया के साथ साथ हिंदुस्तान के हित भी जुड़े हैं. लेकिन शैवालों के कारण लाल दिखने वाले लाल सागर में शोर मचाते. उड़ते हुए आने वाले ऐसे सुसाइड ड्रोन्स और मिसाइलों की वजह से अब व्यापारिक जहाज इस रास्ते से कटने लगे हैं

लेकिन कहां से आते हें ये ड्रोन... - कौन हैं समंदर के वो शैतान जो आसमान से आते हैं. शिपों पर उतरते हैं. और व्यापारिक जहाजों को बंधक बना लेते हैं - कौन हैं जो समंदर में ऐसे धमाके कर रहे हैं जिनसे निपटने के लिए अमेरिका और ब्रिटेन जैसी महाशक्तियों को अपनी फौज समंदर में भेजनी पड़ी है - सोच कर देखिए जब दुनिया में मिडिल ईस्ट के इस शैतान ने अफरातफरी मचा दी है. तो जहां पर इनका अड्डा होगा वहां क्या हाल होगा.

हूती आतंकी... जो इस वक्त सारी दुनिया के लिए रहस्य बने हुए हैं. और इनकी जड़ों तक पहुंचने के लिए आपको मिडिल ईस्ट के सबसे गरीब और अशांत देश यमन तक चलना होगा. वो समुद्री रास्ता जहां से दुनिया में सबसे ज्यादा व्यापार होता है उस पर हलचल पैदा करने वाले हूती की ताकत से इस वक्त सारी दुनिया परेशान है . लाल सागर के पानी पर हूती का आतंक देखकर दुनिया भर के देशों के जहाजों ने अपना रास्ता बदल दिया है . समुद्री व्यापार महंगा और ख़तरनाक हो गया है .

हूती के हमलों का दायरा लाल सागर से बढ़कर हिंद महासागर तक पहुंच गया है . खतरनाक हथियारों से लैस हूती के हमलों को नाकाम करने के लिए दुनिया की सबसे ताकतवर देशों की नौसेना कमान संभाल चुकी है . लेकिन ना तो ये डर ख़त्म हुआ है ना ही इस खौफ़ को खत्म करने की कोई गुंजाइश दिखाई पड़ रही है . लेकिन कौन हैं हूती. यमन पर इनका कब्जा कैसे हुआ. सउदी अरब और अमेरिका से इनकी क्या दुश्मनी है. और ईरान किस तरह शिया आतंकी गुट का इस्तेमाल एक औजार की तरह कर रहा है. इन सवालों के जवाब अशांत मिडिल ईस्ट के रहस्यों की कई परतों को खोल देंगे.

यमन में हूती आतंकी लंबे वक्त से सउदी अरब के समर्थन वाली सरकार से लड़ रहे हैं - इस गृह युद्ध में यमन पूरी तरह तबाह और बर्बाद हो चुका है - जिंदगी की इस इलाके में कोई कीमत नहीं बची है लेकिन हूती इस वक्त दुनिया में यमन के गृह युद्ध से ज्यादा समंदर का सबसे बड़ा खतरा बनने की वजह से चर्चा मे हैं - इज़रायल के हमास पर हमले के बाद एक आतंकी गुट ने दूसरे के समर्थन में लाल सागर से लेकर अदन की खाड़ी तक व्यापारिक जहाजों को निशाना बनाना शुरू कर दिया

पिछले साल नवंबर के बाद से हूती आतंकी व्यापारिक जहाजों पर 40 से ज्यादा हमले कर चुके हैं. इन हमलों के बाद हूती सिर्फ इज़रायल और सउदी अरब के लिए नहीं पूरी दुनिया के लिए सिरदर्द बन गया है. खुद को हमास का हमदर्द साबित करने के लिए हूती इज़रायल और उसका समर्थन करने वाली अमेरिकी फोर्सेस को नुकसान पहुंचाने का दावा कर रही है.

जहाज़ों को निशाना बनाना शुरू कर दिया.. इज़रायल हमास वॉर शुरू होने के बाद हूती लाल सागर में एक्टिव हो चुके हैं. यमन के बड़े हिस्से पर नियंत्रण रखने वाले हूती विद्रोहियों ने लाल सागर से होकर इसराइल जाने वाले जहाज़ों को निशाना बनाना शुरू कर दिया है . पिछले कुछ महीनों में हूती विद्रोहियों ने यहां रॉकेट और ड्रोन से कई व्यापारिक जहाज़ों को निशाना बनाया है . लेकिन अब लाल सागर और अदन की खाड़ी से बढ़ते हुए ये ख़तरा हिंद महासागर तक आ गया है

यमन की वायु सेना ने कई ड्रोन्स की मदद से हिंद महासागर में इजरायली जहाज एमएससी ओरियन को निशाना बनाया. भारत भी इस खतरे से अछूता नहीं है. भारत आ रहे MV अंड्रोमेडा स्टार जहाज पर हूतियों ने मिसाइलें दागीं. जिससे जहाज़ को नुकसान भी पहुंचा. बाद में भारतीय नौसेना की इस जहाज़ तक पहुंची.

दुनिया हूती के आतंक से इसलिए भी टेंशन मे है क्योंकि ग्लोबल ट्रेड का करीब 12% और 30% कंटेनर ट्रैफिक हर साल लाल सागर के स्वेज कैनाल से होकर गुजरता है. लेकिन हूती विद्रोहियों के हमलों से यूरोप और एशिया के बीच मुख्य मार्ग पर अंतरराष्ट्रीय व्यापार को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.

भारत का 80% व्यापार समुद्री रास्ते से होता है. वहीं 90% ईंधन भी समुद्री मार्ग से ही आता है. समुद्री रास्ते में हमले से भारत के कारोबार पर सीधा असर पड़ता है. इससे सप्लाई चेन बिगड़ने का खतरा है. हूतियों का दावा है कि वो सिर्फ अमेरिका और इज़रायल के जहाजों को निशाना बना रहे हैं लेकिन सच्चाई ये है कई ऐसे जहाजों पर अटेक हो चुका है जिनका इन देशों से कोई संबंध नहीं था

अमेरिका ने हूती के हमलों को कंट्रोल करने के लिए एक गठबंधन भी बनाया है. जिन्होंने हूती के ठिकानों पर बड़े हमले भी किए हैं लेकिन हूती कंट्रोल में नहीं आ रहे. इसकी भी एक बड़ी वजह है. हूती आतंकियों की लोकेशन

यमन दो तरफ से दो देशों से घिरा है जबकि बाकी दो तरफ से इसकी सीमा समुद्र से सटी है. यमन की उत्तरी सीमा पर सउदी अरब है जबकि पूर्वी सीमा ओमान से जुडी है यमन की दक्षिणी सीमा अदर की खाड़ी से सटी है जबकि पश्चिम में लाल सागर है समुद्र के रास्ते व्यापार को प्रभावित करने की ताकत हूती विद्रोहियों को यमन की इसी भौगोलिक स्थिति से मिली है. एक लगभग बर्बाद हो चुके देश यमन के बड़े हिस्से पर हूती का कब्जा है. इतने अहम इलाके में उनकी मौजूदगी दुनिया को परेशान कर रही है.

और यमन के अंदर तमाम कोशिशों के बावजूद अब तक कोई भी ताकत हूतियों पर नियंत्रण नहीं कर पाई है. हूती लगातार मजबूत होते जा रहे हैं. यमन में गृहयुद्ध जारी है. और शिया जैदी समुदाय से ताल्लुक रखने वाले हूती लड़ाके इस ज़मीन में लड़ने के माहिर हैं

तेल से भरे हुए यमन में सउदी अरब और ईरान दोनों की दिलचस्पी है और ये इलाका ईरान और सउदी अरब के बीच वर्चस्व की लड़ाई का अखाड़ा बन चुका है. जहां पर हूती के साथ ईरान खड़ा है और हूती के हमले के बाद राजधानी सना से बेदखल होकर सउदी अरब जाने वाले राष्ट्रपति हादी के साथ अरब गठबंधन की सेना. जिनकी मदद अमेरिका भी कर रहा है.

यमन में इन दोनों के बीच कई सालों से जंग जारी है. जिसकी कीमत यमन के लोगों को चुकानी पड़ रही है. यमन में जारी संघर्ष को शिया देश ईरान और सुन्नी शासित सऊदी अरब के बीच इलाके में दबदबे की लड़ाई का परिणाम माना जाता है . जिसमें सउदी सरकारी सेनाओं के साथ है जबकि ईरान हूती को हथियार और आर्थिक सहयोग देकर मजबूत कर रहा है . पिछले कुछ सालों से चले आ रहे संघर्ष में यमन के 3 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हुई है . गरीबी भुखमरी असमस मौत का ख़तरा यहां के लोगों का नसीब बन चुका है जो बदलता नहीं नज़र आ रहा.

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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